जहाँ पर जमीन में बाग लगाने की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती, वहाँ प्राय टेरेस गार्डन (Terrace Garden) बनाये जाते हैं। बाल्कनी, बरामदा, गलियारा, छत आदि ऐसा कोई भी स्थान, जहाँ पर प्रतिदिन कम से कम 2-3 घंटे के लिए सूर्य का प्रकाश तथा धूप उपलब्ध हो, में टेरेस गार्डन (Terrace Garden) बनाया जा सकता है। सूर्य का प्रकाश तथा धूप जितना भी अधिक समय तक उपलब्ध हो टेरेस गार्डन (Terrace Garden) के उतना ही ज्यादा अच्छा है। वैसे तो टेरेस गार्डन (Terrace Garden) में प्रायः गमलों में ही पौधे लगाये जाते हैं किन्तु छत का वाटरप्रूफिंग करवा कर और उसपर मिट्टी की सतह जमाकर उस पर घास तथा बेलें उगाई जा सकती हैं।
जरूरी नहीं है कि गमले मिट्टी या प्लास्टिक के ही हों। घर में पड़े फालतू कनस्तर, पुरानी देग व गंजियों को भी गमले के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। बस उसमें वाटर ड्रेनेज के लिए तले में छेद बनाना पड़ता है।
घर में यदि गृह वाटिका बनाने के लिए स्थान न हो तो भी टेरेस गार्डन (Terrace Garden) घर की सुन्दरता में चार चाँद लगा देता है।
बुधवार, 21 जनवरी 2015
शुक्रवार, 16 जनवरी 2015
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